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19 Jul 2025, Sat

23 जनवरी का इतिहास : जानें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन के 5 प्रेरणादायक बाते !

सुभाष चंद्र बोस

23 जनवरी का महत्व 

23 जनवरी भारतीय इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है. यह वह दिन है जब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक सुभाष चंद्र बोस ने इस धरती पर जन्म लिया. सन 1897 में ओडिशा के कटक में जन्मे नेताजी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन का हर क्षण समर्पित किया है .

सुभाष चंद्र बोस

उनका साहसिक नेतृत्व और प्रेरणादायक विचार आज भी हर भारतीय को गर्व है और उन्हे प्रेरित करते हैं. उनके जीवन के अद्भुत पहलू हमें यह सिखाते हैं कि देशभक्ति और बलिदान का क्या महत्व है.

नेताजी का बचपन और शिक्षा

सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस का जन्म एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था . उनके पिता जानकीनाथ बोस एक प्रतिष्ठित वकील थे. सुभाष ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक में ही प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज और बाद में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय मे शिक्षा थी .

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वह भारतीय सिविल सेवा (ICS) परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, लेकिन ब्रिटिश हुकूमत की सेवा करने के बजाय उन्होंने आजादी की लड़ाई में भाग लेना पसंद किया. यह निर्णय उनके अदम्य साहस और देशभक्ति को भी दर्शाता है.

स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी का योगदान

सुभाष चंद्र बोस

नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रभावशाली और उग्र नेताओं में से एक थे. उनका मानना था कि आजादी मांगने से नहीं मिलेगी, इसे छीनना होगा. उनके इस विचार ने लाखों भारतीय युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा था .

1. नेताजी आजाद हिंद फौज का गठन :

नेताजी सुभाष चंद्र बोस  ने ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती देने के लिए आजाद हिंद फौज (Indian National Army) का गठन किया था . उन्होंने जापान एवं जर्मनी के सहयोग से यह फौज बनाई. इस फौज का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश राज को खत्म करना था. उन्होंने स्वतंत्र भारत के ध्वज को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में फहराकर इसे आजाद भारत का पहला हिस्सा घोषित किया.

2. “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा :

यह नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की दृढ़ता और उग्र राष्ट्रवाद का प्रतीक है.उनके इस नारे ने पूरे देश को जोश व  ऊर्जा से भर दिया. यह संदेश आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

3. कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा :

1938 और 1939 में, नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया. लेकिन महात्मा गांधी और उनके विचारों से मतभेद होने के कारण उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था . इसके बाद उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की थी और स्वतंत्रता संग्राम में एक नई दिशा दी.

नेताजी के प्रेरणादायक पहलू

सुभाष चंद्र बोस

1. उनका अडिग संकल्प और निडरता:

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन दृढ़ संकल्प और साहस का प्रतीक है. उनके विचार थे कि अगर आप आजादी चाहते हैं, तो आपको उसके लिए सब कुछ न्योछावर करना होगा.

2. वे है युवाओं के प्रेरणास्रोत:

नेताजी सुभाष चंद्र बोस युवाओं को देश का भविष्य मानते थे. उनका मानना था कि भारत की आजादी के लिए युवाओं की भागीदारी जरूरी है. उन्होंने उन्हें निडरता और बलिदान की भावना से प्रेरित किया.

3. उनकी दूरदृष्टि और रणनीति :

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रणनीतिक सोच और अद्भुत नेतृत्व ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नया आयाम दिया. उन्होंने संघर्ष को केवल अहिंसक तरीकों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि सशस्त्र संघर्ष को भी बढ़ावा दिया.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु का रहस्य

सुभाष चंद्र बोस का जीवन जितना प्रेरणादायक था, उनकी मृत्यु उतनी ही रहस्यमय रही. 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु होने की खबरें आईं थी . हालांकि, इस घटना की सत्यता को लेकर आज भी विवाद है. कई लोग मानते हैं कि नेताजी उस दुर्घटना में मारे नहीं गए और उन्होंने गुमनामी में ही जीवन बिताया.

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23 जनवरी का महत्व

23 जनवरी का दिन न केवल नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के रूप में बल्कि उनके योगदान को याद करने और उनसे प्रेरणा लेने का भी दिन है. यह दिन हमें उनके बलिदान, साहस और दृढ़ता को सम्मान देने का अवसर प्रदान करता है.

नेताजी की प्रेरणा आज भी प्रासंगिक है

सुभाष चंद्र बोस

नेताजी का जीवन हमें सिखाता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है. उन्होंने स्वतंत्रता के लिए जो बलिदान दिया, वह हर भारतीय के लिए प्रेरणा है.

सुभाष चंद्र बोस का जीवन अद्वितीय और प्रेरणादायक है. उनका संघर्ष, निडरता और देशभक्ति हमें यह सिखाते हैं कि हर हाल में अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए. उनकी विचारधारा और उनके द्वारा दिया गया नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” आज भी हर भारतीय को गर्व से भर देता है.

आइए, इस 23 जनवरी को हम सब नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित करें और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें.

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