परिचय
पारिजात, जिसे हारसिंघार ( Nyctanthes arbor tristis )के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। यह न केवल अपनी मोहक खुशबू के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि धार्मिक, आध्यात्मिक और औषधीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
यह पौधा दिखने मे बहुत सुंदर होता है, इसके फूलों ओ देवताओ का आभूषण कहा जाता है इसके फूल भगवान श्री हरी के पूजन और श्रंगार मे उपयोग किया जाता है यही कारण है की इस पौधे को हारशृंगार कहा जाता है
हिन्दू धर्म मे इस वृक्ष का बहुत महत्व है हिन्दू धर्म शास्त्रों मे इस वृक्ष को कल्प वृक्ष कहा जाता है स्वर्गलोक मे इस वृक्ष को छूने या स्पर्श करने का अधिकार सिर्फ उर्वशी अप्सरा को ही था
इस वृक्ष की अधिकतम उचाई लगभग 33 फिट तक हो सकती है इस वृक्ष को छूने मात्र से ही आपकी थकान दूर हो जाती जाती है
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वास्तु शास्त्र के अनुसार पारिजात का वृक्ष जिसके घर आँगन मे होता है उसके घर के सभी वस्तु दोष दूर हो जाते है इसके पेड़ से टूटे हुए फूलों का उपयोग लक्ष्मी जी की पूजा मे किया जाता है जहा ये पेड़ होता है व्हा साक्षात लक्ष्मी जी का वास होता है,पारिजात का पौधा झा होता है वहा नकारात्मक शक्तियों का वास नहीं होता है
पारिजात के फूलों की खुशबू आपके आमसिक तनाव को हटाकर आपके तनाव पूर्ण जीवन को शांति से भर देता है इससे आपपक मस्तिष्क शांत रहता है इसके फूल रात मे खिलते है और सुबह मुरझा जाते है
इस लेख में हम पारिजात के ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, धार्मिक और औषधीय महत्व के साथ-साथ इसके संरक्षण की आवश्यकता पर भी चर्चा करेंगे। आइए इस दिव्य पुष्प के बारे में विस्तार से जानते हैं।
- पारिजात (Nyctanthes arbor tristis) का ऐतिहासिक महत्व
भारतीय पौराणिक पौराणिक साहित्य की कथाओ के अनुसार पारिजात को स्वर्ग के वृक्ष के रूप मे किया गया है एवं इसका उपयोग माता दुर्गा जी की पूजा के लिए भी किया जाता है
भारतीय पौराणिक कथाओं में पारिजात वृक्ष (Nyctanthes arbor tristis) का विशेष उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार, यह वृक्ष समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न हुआ था और इसे देवताओं के स्वर्गिक उद्यान में स्थापित किया गया था। यह भी कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण इसे स्वर्ग से लाकर पृथ्वी पर लाए थे और इसे अपनी पत्नी सत्यभामा के आंगन में लगाया था।
महाभारत में भी पारिजात वृक्ष (Nyctanthes arbor tristis) का उल्लेख मिलता है, जहाँ सत्यभामा और रुक्मिणी के बीच इस वृक्ष को लेकर एक रोचक कथा प्रचलित है। इससे स्पष्ट होता है कि प्राचीन काल से ही पारिजात का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रहा है।
2. पारिजात का वैज्ञानिक नाम और विशेषताएँ
पारिजात का वैज्ञानिक नाम ( Nyctanthes arbor tristis ) है। इसे अंग्रेजी में Night flowering Jasmine कहा जाता है, क्योंकि इसके फूल रात में खिलते हैं और सुबह झड़ जाते हैं।
इस वृक्ष की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
- इसके फूल सफेद और नारंगी रंग के होते हैं, जो अत्यधिक सुगंधित होते हैं।
- इसके पत्ते हरे और औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।
- यह वृक्ष औषधीय उपयोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
3. पारिजात का (Nyctanthes arbor tristis) धार्मिक महत्व और मान्यताएँ
हिंदू धर्म में पारिजात (Nyctanthes arbor tristis) के फूलों का विशेष महत्व है। यह फूल भगवान विष्णु और भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस वृक्ष को घर के आंगन में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह घर में सुख शांति बनाए रखने में सहायक होता है। इसके अलावा, कई धार्मिक अनुष्ठानों में भी पारिजात के फूलों का उपयोग किया जाता है।
4. पारिजात का आयुर्वेद में महत्व
आयुर्वेद में या फिर हर्बल उपचार मे अथवा विज्ञान मे भी बड़े स्तर पर पारिजात (Nyctanthes arbor tristis) के विभिन्न भागों पत्ते, फूल, छाल और बीजों का उपयोग औषधीय रूप में किया जाता है।
इसके कुछ प्रमुख औषधीय लाभ इस प्रकार हैं:
(i) गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत
पारिजात की पत्तियों का काढ़ा जोड़ों के दर्द और गठिया में अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
(ii) बुखार और सर्दी में फायदेमंद
इसकी पत्तियों और छाल से बनाया गया काढ़ा वायरल बुखार, डेंगू और मलेरिया में बहुत उपयोगी होता है।
(iii) त्वचा रोगों में लाभकारी
पारिजात के फूल और पत्तियों से तैयार किया गया लेप त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे खुजली, दाद और एक्जिमा में राहत प्रदान करता है।
(iv) पाचन क्रिया को सुधारने में सहायक
इसकी छाल और पत्तियों का सेवन अपच, कब्ज और पेट संबंधी विकारों में फायदेमंद होता है।
(v) दर्द और सूजन मे राहत देता है
पारिजात ( Nyctanthes arbor tristis )एक शाक्तिशाली दर्द निवारक और सूजन मे राहत देने वाली औषधि है यह जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द को कम करती है इसके लिए नारियल के तेल की 5 से 6 बूंद मे इसका काढ़ा मिलकर मालिश करने से राहत मिलती है
(v) मधुमेह की बीमारी मे राहत देता है
पारिजात के फूलों का रस उच्च ब्लड शुगर के अतर को नियंत्रित करता है शोध और अध्ययनों से पता चलता है की पारिजात के फूलों का यार्क या रस मे ब्लड शुगर को खत्म करने वाला एक शक्तिशाली प्रभाव होता है
(vi ) संक्रमण और घावों को ठीक करता है
पारिजात के पौधे मे एंटी बैक्ट्रियल , एंटी वायरल , और एंटी फंगल गुण विध्यमान होता है जो घावों के बैकटेरिया और किटाणुओ को नष्ट कारके घावों को ठीक करता है इसके फूलों का उपयोग अल्सर , त्वचा के फंगल इत्यादि के इलाज के लिए भी किया जाता है
(vii ) पेट के संक्रमण और पाचन क्रिया को ठीक करता है
पारिजात का पौधा की पतियों का उपयोग दस्त , पेट फूलना , पेट के अल्सर , अपच तथा पेट दर्द से संबंधित रोगों के इलाज के लिए एक पारंपरिक उपाय मे किया जाता है यह पेट मे पाचक रस के स्त्राव को बढ़ाता है , पेट की सूजन और आतों मे गैसीय एठन को दूर करता है यह मल को ढीला करता है जिससे कब्ज का सही इलाज होता है
(viii ) श्वाश रोग को ठीक करता है
पारिजात के पौधे मे अस्थमा को रोकने वाले गुण होते है इससे सामान्य सर्दी गले की खराश खांसी और फ्लू का इलाज भ इक्या जाता है
5. पारिजात (Nyctanthes arbor tristis) के सौंदर्य और पर्यावरणीय लाभ
पारिजात का वृक्ष न केवल औषधीय रूप से उपयोगी है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह:
- वातावरण को शुद्ध करने में मदद करता है।
- प्रदूषण को कम करने में सहायक होता है।
- पक्षियों और मधुमक्खियों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है।
6. पारिजात (Nyctanthes arbor tristis) वृक्ष के संरक्षण की आवश्यकता
आजकल शहरीकरण और वनों की कटाई के कारण पारिजात वृक्ष की संख्या धीरे धीरे कम होती जा रही है। इसके संरक्षण के लिए हमें –
- अधिक से अधिक पारिजात वृक्ष लगाने चाहिए।
- इसके औषधीय गुणों के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए।
- इस दुर्लभ वृक्ष को बचाने के लिए सरकारी और सामाजिक स्तर पर प्रयास करने चाहिए।
7. पारिजात (Nyctanthes arbor tristis) से जुड़े रोचक तथ्य
- पारिजात के फूल रात में खिलते हैं और सुबह झड़ जाते हैं।
- इस वृक्ष को रात की रानी भी कहा जाता है।
- पारिजात वृक्ष की लकड़ी से धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग होने वाले पूजा पात्र बनाए जाते हैं।
- इसकी छाल से प्राप्त रस औषधीय रूप से अत्यंत प्रभावी होता है।
- इसकी खुशबू से मानसिक तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है।
8. पारिजात (Nyctanthes arbor tristis) के उपयोग के तरीके
(i) चाय और काढ़ा
पारिजात की पत्तियों का उपयोग चाय और काढ़े के रूप में किया जाता है, जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में सहायक होता है।
(ii) तेल और लेप
इसकी पत्तियों और फूलों से बनाया गया तेल शरीर के दर्द और त्वचा रोगों में अत्यंत लाभकारी होता है।
(iii) इत्र और सुगंधित उत्पाद
पारिजात की सुगंध इतनी मनमोहक होती है कि इससे इत्र और सुगंधित उत्पाद बनाए जाते हैं।
निष्कर्ष
पारिजात ( Nyctanthes arbor tristis ) केवल एक सुंदर फूल नहीं है, बल्कि यह एक दिव्य उपहार है जिसमें औषधीय, धार्मिक और पर्यावरणीय गुण समाहित हैं। यह वृक्ष न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करता है।
इस दुर्लभ वृक्ष के संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी की है, ताकि इसकी खुशबू और औषधीय लाभ आने वाली पीढ़ियों तक पहुँच सकें। आइए, इस अमूल्य धरोहर को संरक्षित करें और अपने जीवन में पारिजात के दिव्य गुणों को अपनाएँ।
क्या आपने कभी पारिजात का उपयोग किया है? अपने अनुभव हमें कमेंट में जरूर बताएं!
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