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4 May 2025, Sun

Ramadan 2025 : रमजान और रोज़े व इबादत से जुड़ी 7 Ultimate बातें जो हर मुसलमान को जाननी चाहिए:what is its benefit

Ramadan 2025

Ramzan (Ramadan 2025): रमजान का पाक महीना शुरू होने वाला है.  इस्लामी कैलेंडर के के अनुसार नौवें महीने Ramzan (Ramadan 2025) को इस्लाम में बेहद अहम मुकाम हासिल है. यह रहमतों,बरकतों का महीना माना जाता है, जिसमें की दुनिया भर के मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रोज़ा रखते हैं, पांच वक्त की नमाज़ अदा करते हैं व अल्लाह की इबादत में अपना समय बिताते हैं.

Ramzan (Ramadan 2025) की शुरुआत भारत में चांद दिखने पर 28 फरवरी 2025 की शाम से होने की पूरी उम्मीद है, जिससे पहला रोज़ा 1 मार्च 2025 को रखा जाएगा. लगभग 29 से 30 दिनों तक रोज़े रखने के बाद ईद-उल-फ़ितर का त्योहार मनाया जाता है. तो आइए, Ramzan (Ramadan 2025) के मौके पर रोज़े, इबादत व त्योहार से जुड़ी 7 ज़रूरी बातें जानते हैं, जो हर मुसलमान को मालूम होनी चाहिए. 

1. Ramzan का महत्व व इसका इतिहास

Ramadan 2025

Ramzan (Ramadan 2025) इस्लामी हिजरी कैलेंडर का नौवां व सबसे पवित्र महीना है.कुरान के अनुसार, Ramzan (Ramadan 2025) के महीने में ही पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद को पहली बार अल्लाह का पैग़ाम मिला था.

सन् 610 ईस्वी में Ramzan (Ramadan 2025) की एक रात जिसे शब ए क़द्र या लैलतुल क़द्र कहते हैं में फरिश्ते जिब्रील ने हज़रत मुहम्मद को हिरा की गुफा में कुरान की आयतें सुनाईं.इसी घटना से इस्लाम धर्म की शुरुआत मानी जाती है व कुरान नाज़िल होना शुरू हुआ. इसीलिए Ramzan (Ramadan 2025) को कुरान के नाज़िल होने का महीना भी कहते हैं. 

इस्लाम में Ramzan (Ramadan 2025) के रोज़ों को बहुत अहमियत दी गई है. रोज़ा इस्लाम के पांच मूल स्तंभों में से एक है. हज़रत मुहम्मद के मक्का से मदीना हिजरत या प्रवासन करने के अगले साल, यानि दूसरे हिजरी वर्ष 624 ई. में Ramzan (Ramadan 2025) के रोज़े रखने का हुक्म अल्लाह की तरफ से आया. 

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पवित्र कुरान में सूरह अल बक़रा की आयत में कहा गया: ‘ऐ ईमान वालो! तुम पर रोज़े उसी तरह फ़र्ज़ किए गए हैं जैसे तुमसे पहले लोगों पर किए गए, ताकि तुम परहेज़गार बनो.‘ इससे पता चलता है कि रोज़ा रखना न सिर्फ़ इस समुदाय (उम्मत) पर बल्कि पिछले पैगंबरों की उम्मतों में भी प्रचलित रहा है. अलग-अलग धर्मों जैसे यहूदी, ईसाई, हिंदू में उपवास की परंपरा अपने अपने तरीके से अलग अलग मौजूद है, लेकिन इस्लाम में Ramzan (Ramadan 2025) के रोज़े को अनिवार्य इबादत का दर्जा दिया गया. 

Ramzan (Ramadan 2025) शब्द अरबी भाषा का शब्द है जिसका मूल अर्थ है ‘भीषण गर्मी या जलना’ भी माना जाता है कि जब यह नियम लागू हुआ तब अरब में तेज़ गर्मी का मौसम था, इसलिए इसे Ramzan (Ramadan 2025) को जलती हुई गर्मी कहा गया. 

इस महीने को रहमत, मग़फ़िरत या क्षमा व जहन्नम से निजात का महीना भी कहा जाता है. पूरे Ramzan में खुद को अल्लाह के हवाले कर देने, गुनाहों से तौबा करने व आत्मसंयम के ज़रिए आत्मशुद्धि का खास मौका मिलता है. मुसलमान मानते हैं कि Ramzan (Ramadan 2025) में नेकियों का सवाब कई गुणा बढ़ जाता है, गुनाह माफ़ होते हैं व अल्लाह की खास रहमत बरसती है. 

2. रोज़े रखने के नियम व परंपराएं

Ramadan 2025

रोज़ा यानी की अल्लाह के हुक्म के लिए भूख प्यास सहित सांसारिक इच्छाओं से दिन भर परहेज़ करना. Ramzan (Ramadan 2025) में हर दिन भोर से सूर्यास्त तक रोज़ा रखा जाता है.  इसकी शुरुआत सुबह की अज़ान (फ़जर से पहले) से होती है व शाम को मगरिब की अज़ान के वक्त रोज़ा खोला जाता है. रोज़े की दिनचर्या में दो विशेष पारंपरिक भोजन शामिल हैं:

  • सहरी : यह सुबह सूरज निकलने से पहले खाया जाने वाला भोजन है.  सहरी का वक्त फजर की नमाज़ से पहले तक होता है.  मुसलमान सुबह जल्दी उठकर पोष्टिक आहार लेते हैं ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे.  सहरी करना सुन्नत है व इसे छोड़ा नहीं जा सकता . सहरी में धीमी ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ जैसे दूध या दही, फल, दलिया, अंडे, रोटी या परांठा, मेवे आदि लेना फायदेमंद होता है.  बहुत ज़्यादा नमक या मिर्च मसाले वाला खाना सहरी में खाने से दिन में प्यास बढ़ सकती है, इसलिए हल्का व संतुलित आहार लेना चाहिए. 
  • इफ़्तार : सूर्यास्त के समय रोज़ा खोलने के तरीके को इफ़्तार कहते हैं.  पैगंबर मुहम्मद ने खजूर व पानी से रोज़ा खोलने की हिदायत दी है, इसलिए अधिकांश मुसलमान खजूर से ही इफ़्तार शुरू करते हैं.  इफ़्तार में पहले पानी, खजूर या फल लेकर पेट को तैयार किया जाता है व फिर नमाज़ के बाद मुख्य भोजन किया जाता है.  इफ़्तार के वक्त परिवार के साथ साथ सामूहिक रूप से रोज़ा खोलने की परंपरा भी है मस्जिदों में या सामुदायिक केंद्रों पर लोग जुटकर इफ़्तार करते हैं, जिससे भाईचारे की भावना भी मज़बूत होती है. 

रोज़े के नियमों के अनुसार रोज़ेदार सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ भी खा पी नहीं सकता. पानी की एक बूंद भी गले के नीचे उतारना मना है.  भोजन पानी के अलावा धूम्रपान, किसी भी प्रकार का नशा या दवा लेना भी वर्जित है जब तक की कोई गंभीर बीमार न हो तो .

दिन के समय यौन संबंध बनाना सख्त मना है. रोज़े की हालत में शरीर के अंदर कोई भी खाद्य या पेय नहीं जानी चाहिए. अगर कोई भूल से खाना या पानी पी लेवे तो जैसे ही याद आए रोज़ा जारी रखते हुए तौबा करनी चाहिए  इस तरह की भूल को अल्लाह माफ कर देता है, ऐसा माना जाता है. 

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लेकिन रोज़ा सिर्फ भूख व प्यास सहने का नाम भर नहीं है. रोज़े का असली मकसद अपने नफ़्स यानी की इच्छाओं व भावनाओं पर नियंत्रण पाना है. मुसलमानों को हिदायत है कि रोज़े के दौरान न सिर्फ़ पेट, बल्कि अपनी ज़ुबान, आंख, कान व सभी अंगों को गुनाह से रोके रखें.

मतलब रोज़े में किसी को बुरा भला कहना, झगड़ा या गाली गलौच करने से बचें. किसी की बुराई न करें. गलत काम देखें भी नहीं व न ही किसी को हाथ से तकलीफ़ पहुँचाएँ. अपनी भावनाओं पर काबू रखें – गुस्सा आने पर सब्र करना रोज़ादार की निशानी है.

रोज़े की हालत में संगीत सुनना, फ़िल्म या टीवी का मनोरंजन करना भी अनावश्यक माना जाता है, क्योंकि Ramzan (Ramadan 2025) को पूरा ध्यान इबादत व नेक कामों में लगाने का महीना कहा गया है.  जिस तरह पेट को खाना पानी से दूर रखते हैं, वैसे ही आत्मा को हर बुराई से दूर रखना चाहिए, तभी रोज़े का पूरा सवाब मिलता है. 

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दिन भर रोज़ा रखने के साथ साथ मुसलमान पांचों वक्त की नमाज़ समय पर अदा करते हैं.  Ramzan (Ramadan 2025) में एक अतिरिक्त नमाज़ तराबी  भी पढ़ी जाती है, कुल मिलाकर, रोज़े के दौरान अनुशासन, संयम व भक्ति का पालन जरूरी है ताकि आत्मिक लाभ हासिल किया जा सके. 

3. इबादत व कुरान का महत्व

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Ramzan (Ramadan 2025) केवल भूखे प्यासे रहने का महीना नहीं, बल्कि अपने निर्माता के करीब आने का मौका है.  इस पूरे महीने मुसलमान इबादत में खास ध्यान देते हैं.  दिन में कुरान पाक का पाठ किया जाता है व रात में विशेष नमाज़ें अदा की जाती हैं.  माना जाता है कि Ramzan (Ramadan 2025) में की गई इबादत का सवाब अन्य महीनों की तुलना में कई गुना बढ़ जाता है. 

कुरान पढ़ने का महत्व: Ramzan (Ramadan 2025) में कुरान मजीद को पूरा पढ़ने की पुरानी परंपरा है. चूंकि इसी महीने कुरान शरीफ नाज़िल होना शुरू हुआ था, इसलिए मुसलमान रोज़ाना इसका एक हिस्सा पढ़ते हैं.  बहुत से लोग रोज़ एक पारा पढ़कर तीस दिनों में पूरा कुरान खत्म करने की कोशिश करते हैं.  कई जगह ख़ास तौर पर कुरान का पाठ (कुरान ख़्वानी) के कार्यक्रम रखे जाते हैं.

तराबी  की नमाज़: Ramzan (Ramadan 2025) की हर रात इशा की नमाज़ के बाद तराबी  की विशेष नमाज़ अदा की जाती है.  तराबी  में कुरान शरीफ का एक बड़ा हिस्सा इमाम द्वारा सुनाया जाता है. अधिकांश मस्जिदों में Ramzan (Ramadan 2025) की 27वीं रात तक पूरा कुरान तराबी  में सुना दिया जाता है.  तराबी  8 रकात से 20 रकात तक पढ़ी जाती है . 

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इसका मकसद रात में लंबी इबादत करके अल्लाह की याद में वक्त बिताना व कुरान की आयतों को सुनना पढ़ना होता है.  महिलाएं भी घरों में तराबी पढ़ती हैं या कभी मस्जिदों में विशेष प्रबंध होता है.  तराबी  के जरिए सामूहिक इबादत की भावना भी प्रबल होती है. 

शब ए क़द्र : Ramzan (Ramadan 2025) की अंतिम अशरे यानि की आख़िरी 10 दिनों  में शब ए क़द्र नाम की रात आती है, जिसे कुरान में हज़ार महीनों से बेहतर रात कहा गया है. मान्यता है कि इसी रात पहली बार कुरान नाज़िल हुआ था. इस रात मुसलमान पूरी रात जागकर नमाज़, क़ुरान पाठ व ज़िक्र ए अल्लाह करते हैं. सही तारीख़ पता नहीं, लेकिन Ramzan (Ramadan 2025) की 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं या 29वीं रात में से कोई एक मानी जाती है (अधिकतर 27वीं को ही मानते हैं).  इस रात की इबादत को विशेष फलदायी माना गया है जिसमे दुआएं क़बूल होती हैं व अल्लाह खास रहमत नाज़िल करता है. 

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इतिकाफ़: Ramzan (Ramadan 2025) के आखिरी दस दिनों में कुछ मुसलमान मस्जिद में या घर के किसी एकांत हिस्से में इतिकाफ़  करते हैं. इतिकाफ़ करने वाला व्यक्ति दुनियावी गतिविधियों से कटकर पूरा समय इबादत, कुरान व ज़िक्र में लगाता है. पैगंबर मुहम्मद भी Ramzan (Ramadan 2025) के अंतिम दस दिन इतिकाफ़ में बिताते थे.  इस प्रथा का उद्देश्य दुनियावी लगाव छोड़कर पूरी तरह अल्लाह की आराधना में लीन होना है. 

दुआ व इस्तिग़फ़ार:Ramzan (Ramadan 2025) में अल्लाह से दुआ करने की ताकीद है.  रोज़ेदार सुबह सहरी से लेकर इफ़्तार तक व खासकर इफ़्तार के वक्त दिल से दुआ मांगते हैं, क्योंकि कहा गया है रोज़ेदार की दुआ अल्लाह अस्वीकार नहीं करता.  इसी तरह गुनाहों की माफी खूब मांगनी चाहिए. Ramzan (Ramadan 2025) को मग़फ़िरत का महीना कहते हैं  ईमानदार तौबा करने वालों के पिछले गुनाह माफ़ हो जाते हैं. 

इस तरह, Ramzan (Ramadan 2025) में इबादत का हर रूप नमाज़, रोज़ा, तिलावत ए कुरान, दुआ, ज़िक्र, तराबी , सदक़ा  सब पर ज़ोर दिया गया है.  इन इबादतों का मकसद आत्मिक शुद्धि, अल्लाह से जुड़ाव व धर्मग्रंथ कुरान के संदेश को समझकर अपने जीवन को बेहतर बनाना है. 

4. दान व ज़कात का महत्व

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Ramzan (Ramadan 2025) हमें सिर्फ ख़ुदा की इबादत ही नहीं सिखाता, बल्कि इंसानों से मोहब्बत व हमदर्दी का जज़्बा भी बढ़ाता है. पूरे दिन भूखे प्यासे रहकर रोज़ेदार गरीबों की तकलीफ़ महसूस करते हैं व उनमें दूसरों की मदद का जज़्बा पैदा होता है. इसीलिए Ramzan (Ramadan 2025) को सदक़े व ज़कात का महीना भी कहा जाता है. 

ज़कात इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक अनिवार्य दान है, जो हर साहिब ए निसाब पर साल में एक बार फ़र्ज़ है. आम तौर पर लोग अपने सालाना ज़कात को Ramzan (Ramadan 2025) में निकालना पसंद करते हैं क्योंकि इस महीने में की गई नेकी का पुण्य कई गुना ज़्यादा मिलता है.  ज़कात कुल बचत या धन का कम से कम 2.5% हिस्सा होता है, जिसे जरूरतमंदों, ग़रीबों, यतीमों (अनाथ) आदि में बांटा जाता है. ज़कात देने से माल पाक हो जाता है व समाज में ग़रीबी घटाने में मदद मिलती है. 

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सदक़ा (स्वैच्छिक दान): ज़कात के अलावा Ramzan (Ramadan 2025) में हर तरह का दान करना अत्यंत पुण्य का काम माना जाता है.  लोग दिल खोलकर गरीबों की मदद करते हैं, किसी को खाना खिलाना, कपड़े देना, मेडिकल मदद करना, मस्जिद या चैरिटी में पैसा देना इत्यादि.  

इफ़्तार के समय बहुत से मुसलमान दूसरों को इफ़्तार करवाते हैं, मस्जिदों में इफ़्तार के लिए खाना पानी पहुँचाते हैं.  हदीस में आता है कि जो व्यक्ति किसी रोज़ेदार को इफ़्तार करवाए, उसे रोज़ेदार के बराबर सवाब मिलेगा.  इस वजह से Ramzan (Ramadan 2025) में जगह जगह मुफ्त इफ़्तार कैंप लगते हैं, जहां सभी धर्मों के जरूरतमंद लोग आकर खाना खा सकते हैं, यह इस पाक महीने की सीख है कि भूखे को खाना खिलाओ. 

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फ़ित्रा -ज़कात उल फ़ितर: Ramzan (Ramadan 2025) के महीने में एक खास दान ईद से पहले फ़र्ज़ किया गया है, जिसे ज़कात उल फ़ितर या फ़ित्रा कहते हैं. यह हर मुसलमान जो की ‘देने की हैसियत रखता हो’ पर वाजिब है कि ईद उल फ़ितर की नमाज़ से पहले गरीबों को फ़ित्रा अदा करे.  फ़ित्रा की रकम प्रति व्यक्ति के हिसाब से होती है आमतौर पर स्थानीय दर से लगभग 2 से 3 किलो अनाज या उसकी कीमत, व घर का मुखिया अपने परिवार के सभी सदस्यों की तरफ से यह अदा करता है.  

फ़ित्रा का मकसद यह है कि समाज का कोई गरीब ईद के दिन भूखा न रहे व वह भी त्योहार मना सके. Ramzan (Ramadan 2025) भर रोज़े रखने के बाद ईद की खुशी मनाने से पहले यह छोटा सा दान अल्लाह को शुक्राने के तौर पर दिया जाता है. 

Ramzan (Ramadan 2025) में दान पुण्य करने से ना केवल जरूरतमंदों की मदद होती है, बल्कि देने वाले के दिल में विनम्रता व कृतज्ञता आती है.  इस महीने में मुसलमान अपनी कमाई से अधिक से अधिक हिस्से को अल्लाह की राह में खर्च करते हैं. 

कई लोग अपनी साल भर की चैरिटी योजनाएँ Ramzan (Ramadan 2025) में पूरी करते हैं. ज़कात व सदक़े के जरिए समाज में आपसी प्यार बढ़ता है, गरीब व अमीर के बीच की खाई कम होती है व सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलता है.  यही कारण है कि Ramzan (Ramadan 2025) को नेकियों का मौसम कहा गया है

5. बच्चों व बुज़ुर्गों के लिए Ramzan (Ramadan 2025) के नियम

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इस्लाम में रोज़ा हर उस मुसलमान पर फ़र्ज़ है जो बालिग़ व तंदुरुस्त हो.  छोटे बच्चे जो अभी बालिग़ नहीं हुए हैं, उनपर रोज़े की बाध्यता नहीं है. आमतौर पर लड़कों के 12 से 15 वर्ष व लड़कियों के 9 से 12 वर्ष या पहली माहवारी की उम्र को बालिग़ होना माना जाता है.  इससे कम उम्र के बच्चे रोज़ा नहीं रखते, हालांकि उन्हें थोड़ा थोड़ा रोज़ा रखने की प्रैक्टिस कराई जाती है ताकि बड़े होकर आसानी हो. 

कई बच्चे Ramzan (Ramadan 2025) में ‘आधा रोज़ा’ रखते हैं दोपहर तक रोज़ा करके फिर खा लेते हैं  ताकि उन्हें अनुभव हो.  माता पिता बच्चों को रोज़े का महत्व समझाते हैं व धीरे धीरे धार्मिक कर्तव्यों के लिए तैयार करते हैं.  लेकिन इस्लाम बच्चों को रोज़े के लिए मजबूर नहीं करता, जब तक वे खुद समझदार न हो जाएं. 

उसी तरह बहुत बुज़ुर्ग लोग जिनकी सेहत रोज़ा रखने लायक नहीं रहती, उन्हें भी छूट दी गई है.  अगर बढ़ापे की वजह से शरीर कमज़ोर हो गया है, कोई लाइलाज बीमारी है या उपवास करने पर सेहत को ख़तरा है, तो ऐसे बुज़ुर्ग मुसलमान रोज़ा न रखें तो कोई गुनाह नहीं. 

कुरान में अल्लाह ने कहा है कि “ अल्लाह किसी जान पर उसकी ताक़त से ज्यादा बोझ नहीं डालता. ” इसलिए धर्म में रियायत का प्रावधान है. जो लोग लगातार बीमार हैं या बेहद उम्रदराज हैं व रोज़े नहीं रख सकते, उन्हें प्रत्येक छूटे रोज़े के बदले एक गरीब को खाना खिलाने या फ़िद्या या दान देने की हिदायत है.  यह फ़िद्या उतनी राशि या अनाज होता है जितना एक व्यक्ति के एक दिन के भोजन के लिए काफ़ी हो. 

Ramzan (Ramadan 2025) में किस किस को रोज़े से छूट मिल सकती है, इसे संक्षेप में इस प्रकार से समझें

  • जो मुस्लिम गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं या रोज़ा रखने से उनकी तबीयत बिगड़ने की आशंका है, वे रोज़े नहीं रख सकते.  बीमारी ठीक होने के बाद छूटे हुए रोज़े (क़ज़ा रोज़े) Ramzan (Ramadan 2025) के बाद पूरे किए जा सकते हैं.  अगर बीमारी लंबी है तो बाद में या अगले साल पूरे करें, व अगर लाइलाज है तो फ़िद्या दें. 
  • मानसिक रूप से विकलांग या मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति जिन्हें सही गलत का होश नहीं, उनपर रोज़ा आवश्यक नहीं रखा गया है. 
  • जो महिलाएँ गर्भवती हैं या बच्चे को दूध पिला रही हैं, यदि रोज़ा रखने से उनके या शिशु के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है तो इस हालत में रोज़ा ना रखने की इजाज़त है.  बाद में जब जैसे बच्चा बड़ा हो जाए  तो छूटे रोज़ों की कज़ा करनी चाहिए. 
  • जिन वतों के Ramzan में मासिक धर्म चल रहे हों, उन्हें उस दौरान रोज़े नहीं रखने चाहिए .  ऐसे दिनों में छूटे रोज़ों को Ramzan (Ramadan 2025) के बाद शाव्वाल या किसी भी महीने में पूरा करना होता है.  इस दौरान वे कुरान भी नहीं छूतीं व नमाज़ से भी मुक्त रहती हैं. 
  • जो मुसलमान सफर पर हों व सफर के दौरान रोज़ा रखना कठिन हो, उन्हें भी छूट है.  हालांकि अगर वे सफर में भी खुद को सक्षम पाएं तो रोज़ा रख सकते हैं, लेकिन शरई तौर पर मुसाफिर को रियायत है कि यात्रा में रोज़ा क़ज़ा कर ले व बाद में उस दिन की रोज़ा रख ले.  यदि सफर के दौरान किसी जगह कुछ दिन ठहर जाएँ व कठिनाई न हो तो रोज़े रखे जा सकते हैं. 
  • उपर्युक्त बहुत बूढ़े व अशक्त लोग, जिनका रोग या कमज़ोरी स्थायी है, वे रोज़े से मुक्त हैं लेकिन हो सके तो हर रोज़े के बदले जरूरतमंद को खाना खिलाएं. 

इन रियायतों से साफ़ जाहिर है कि इस्लाम धर्म व्यवहारिकता को महत्व देता है. रोज़ा एक इबादत है, लेकिन अगर कोई सचमुच असमर्थ है तो उसपर ज़बरदस्ती का बोझ नहीं डाला गया. अलबत्ता, जो लोग थोड़ी मुश्किल के बावजूद रोज़ा निभा सकते हैं, उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए क्योंकि अल्लाह थोड़ी तकलीफ़ पर बड़ा अजर (पुण्य) देता है.  हदीस में है कि Ramzan (Ramadan 2025) सब्र का महीना है, व सब्र का बदला जन्नत है.

इसलिए जो सक्षम हैं उन्हें पूरी निष्ठा से रोज़े रखने चाहिए, जबकि असमर्थ लोगों के लिए अल्लाह माफ़ करने वाला है  वे दान या क़ज़ा के ज़रिए अपनी जिम्मेदारी पूरी कर सकते हैं. 

6. Ramzan के दौरान खान पान व सेहत के टिप्स

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रोज़ों के महीने में सेहत का ख़ास ख़याल रखना भी ज़रूरी है ताकि आप इबादत ठीक से कर सकें.  लंबे वक्त तक खाली पेट रहने के कारण शरीर में ऊर्जा व पानी की कमी हो सकती है, लेकिन सही डाइट व आदतों से आप Ramzan (Ramadan 2025) में भी फिट व स्वस्थ रह सकते हैं.  यहां कुछ खान पान व स्वास्थ्य से जुड़े सुझाव दिए जा रहे हैं-

  • सहरी कभी न छोड़ें: कुछ लोग आलस या समय की कमी से सहरी नहीं करते, लेकिन ये ग़लत है.  सहरी आपको दिन भर की रोज़े की चुनौती के लिए ऊर्जा देती है.  इसे रोज़े की ‘सुबह का ईंधन’ समझें.  पौष्टिक सहरी करें जिसमें प्रोटीन अंडे, दही, दूध, पनीर, फाइबर ,दलिया, होल ग्रेन अनाज, सब्ज़ियाँ व प्राकृतिक शुगर ,फल, खजूर हो.  चाय, कॉफ़ी का सेवन सहरी में कम करें क्योंकि इससे डिहाइड्रेशन ,पानी की कमी व एसिडिटी हो सकती है.  अत्यधिक नमक वाले या तले हुए खाद्य पदार्थ सुबह ना लें, वरना दिन में ज़्यादा प्यास लगेगी. 
  • इफ़्तार को संतुलित रखें: रोज़ा खोलते समय तुरंत बहुत ज्यादा खाना न खाएं.  दिन भर खाली पेट रहने से पेट सिकुड़ जाता है, इसलिए इफ़्तार हल्का फुल्का व धीरे धीरे करें.  शुरुआत खजूर व पानी से करें ताकि शुगर लेवल सामान्य हो जाए.  फिर फल या हल्की चीज़ें फ्रूट चाट, शर्बत, सूप लें.  नमाज़ के बाद मुख्य भोजन करें, जिसमें कार्बोहाइड्रेट  जैसे चावल, रोटी, प्रोटीन ,मीट, दाल, बीन्स व सब्ज़ियाँ शामिल हों.  अत्यधिक तली भुनी चीज़ें पकोड़े, समोसे आदि सीमित मात्रा में ही खाएं  ये स्वाद में अच्छे लगते हैं लेकिन ज्यादा खाने पर पेट भारी हो सकता है व सेहत पर असर डाल सकते हैं.  संतुलित मात्रा में खाकर पेट भरें, ओवरईटिंग से बचें वरना अगला दिन मुश्किल होगा. 
  • पानी व हाइड्रेशन: Ramzan में पानी की कमी सबसे बड़ी चुनौती है, खासकर गर्मियों में Ramzan (Ramadan 2025) पड़े तो.  रोज़े की हालत में तो पानी नहीं पी सकते, मगर इफ़्तार से लेकर सहरी के बीच खूब तरल लें.  कोशिश करें कि रोज़ाना कुल मिलाकर 8 से 10 गिलास पानी आप पी जाएं.  इफ़्तार के बाद सेहर तक हर थोड़ी देर में पानी पीते रहें.  पानी के अलावा नींबू पानी, नारियल पानी, फलों का रस , मिल्कशेक, छाछ, सूप जैसी चीज़ें भी लें ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे.  कैफ़ीनयुक्त कोला या सोडा ड्रिंक से बचें क्योंकि वे प्यास बढ़ा सकते हैं.  अगर बहुत पसीना निकलता है तो ORS या नमक शक्कर का घोल भी ले सकते हैं.  पर्याप्त पानी पीने से सिरदर्द, चक्कर व कमजोरी से बचाव होगा. 
  • हल्की फिजिकल एक्टिविटी: रोज़े में भारी व्यायाम की सलाह नहीं है, क्योंकि एनर्जी कम मिलेगी.  लेकिन फिट रहने के लिए हल्की फुल्की एक्सरसाइज़ करते रहें.  शाम के समय इफ़्तार से पहले या इफ़्तार के एक दो घंटे बाद थोड़ा टहलना कर लें, जिससे शरीर सक्रिय रहे.  बहुत ज्यादा व्यायाम या धूप में भाग दौड़ न करें, इससे डिहाइड्रेशन हो सकता है.  योग व स्ट्रेचिंग जैसी हल्की कसरत भी फायदेमंद है व थकान दूर करती है.  तराबी  की नमाज़ खुद एक अच्छी एक्सरसाइज़ है क्योंकि इसमें खड़े होना, झुकना, सजदा करना होता है जिससे  पूरे शरीर का धीरे धीरे व्यायाम भी हो जाता है. 
  • नींद व आराम: Ramzan (Ramadan 2025) में दिन का रूटीन बदल जाता है – सुबह बहुत जल्दी उठनाव रात को देर तक जागना (तराबी , इबादत) होता है.  पर्याप्त नींद लेना बेहद ज़रूरी है ताकि शरीर रीचार्ज हो सके.  दिन में अगर संभव हो तो दोपहर में थोड़ा आराम ( क़ैलूला ) कर लें, जिससे नींद की कमी पूरी हो जाए.  लगातार जागरण से इम्यून सिस्टम कमज़ोर पड़ सकता है, इसलिए अपनी क्षमतानुसार आराम भी करें.  तराबी  के बाद जल्दी सो जाएं व सहरी के लिए अलार्म लगा कर उठें.  इस तरह नींद बाँटकर भी कुल 6 से 7 घंटे ले लें, तो सेहत ठीक रहेगी. 
  • बीमार होने पर सलाह: अगर आपको कोई मेडिकल कंडीशन है जैसे की डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, किडनी रोग या गर्भावस्था  तो Ramzan (Ramadan 2025) शुरू होने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें कि रोज़ा रखना सुरक्षित है या नहीं.  कुछ केस में डॉक्टर आंशिक उपवास या दवा के समय एडजस्ट करने की सलाह दे सकते हैं.  अगर रोज़े में तबीयत अचानक ज़्यादा ख़राब महसूस हो ज़बरदस्त चक्कर, बेहोशी, उल्टी आदि, तो अपना रोज़ा तोड़कर तुरंत आराम या इलाज लें , इस रोज़े को आप बाद में कज़ा कर सकते हैं.  याद रखें, इस्लाम जीवन को खतरे में डालने की इजाज़त नहीं देता, बीमार व मजबूर लोगों के लिए छूट है.  लेकिन मामूली कमजोरी या सिरदर्द को सहने की कोशिश करें व अल्लाह से ताकत मांगें. 

इन सुझावों पर अमल करके आप Ramzan (Ramadan 2025) के रोज़े स्वस्थ ढंग से पूरे कर सकते हैं.  सही आहार, पर्याप्त पानी, संयमित आदतें व वक़्त पर आराम  इनसे आपका शरीर भी Ramzan (Ramadan 2025) के पाक महीने का साथ देगा व आप इबादत में दिलोजान से मशगूल रह सकेंगे. 

7. ईद उल फ़ितर का उत्सव

Ramadan 2025

Ramzan (Ramadan 2025) के महीने के रोज़े पूरे होने के बाद अल्लाह तआला मुसलमानों को एक ख़ुशी का दिन अता करता है जिसे ईद उल फ़ितर कहा जाता है.  इसे आम बोलचाल में “मीठी ईद” भी कहते हैं क्योंकि इस दिन मीठी सेवैयाँ ,शीर ख़ुरमा व तरह तरह की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं. 

ईद उल फ़ितर दरअसल Ramzan (Ramadan 2025) के ख़त्म होने की खुशी में मनाया जाने वाला त्योहार है, जो इस्लामी कैलेंडर के दसवें महीने शव्वाल की पहली तारीख़ को पड़ता है.  Ramzan (Ramadan 2025)  का चांद दिखाई देने के साथ ही ईद की पुष्टि होती है. अगर Ramzan (Ramadan 2025) , 29 दिनों का हुआ व चांद दिख गया तो 30 वें दिन ईद होती है, वरना 30 रोज़े पूरे करके 31वें दिन ईद मनाई जाती है. 

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ईद की नमाज़ व परंपराएं: ईद उल फ़ितर के दिन सुबह सुबह विशेष नमाज़ अदा की जाती है, जिसे ईद की नमाज़ कहते हैं.  यह नमाज़ किसी बड़ी खुली जगह ईदगाह या मस्जिद में सामूहिक रूप से पढ़ी जाती है. ईद की नमाज़ का वक्त सूर्योदय के कुछ देर बाद से लेकर दोपहर से पहले तक होता है, जिसे इमाम तय समय पर जमात के साथ अदा करवाते हैं. 

नमाज़ से पहले मुसलमानों को ज़कात उल फ़ितर अदा करना जरूरी होता है  बिना फ़ितरा दिए ईद की नमाज़ पूरी नहीं मानी जाती, ऐसा हदीसों से पता चलता है.  नमाज़ से पहले कुछ राशि गरीबों में बांटकर हर मुसलमान यह सुनिश्चित करता है कि सबके घर ईद मन सके. 

नमाज़ के लिए जाने से पहले सुबह  उठकर गुस्ल या स्नान करना, नए या साफ कपड़े पहनना, खुशबू लगाना व मीठा खा कर घर से निकलना सुन्नत मानी गई हैं. पैगंबर मुहम्मद ईद की नमाज़ पर जाने से पहले खजूर खाकर जाया करते थे, ताकि आज के दिन रोज़े की मनाही दिखा सकें क्योंकि ईद के दिन रोज़ा रखना हराम है.  नमाज़ के दौरान इमाम दो खत्बे (प्रवचन) भी देते हैं जिसमें अल्लाह की तारीफ़, Ramzan (Ramadan 2025) के महत्व व ईद की बधाई का पैगाम होता है. 

Ramadan 2025

नमाज़ के बाद मुसलमान एक दूसरे से गले मिलकर “ईद मुबारक” कहते हैं व आपसी मुहब्बत का इज़हार करते हैं.  घर लौटकर बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है व बच्चे बड़ों से ईदी (तोहफ़े या पैसे) पाते हैं. घरों में तरह तरह के पकवान बनते हैं  खासकर सेवइयाँ, शीरख़ुरमा, फिरनी जैसे मीठे व्यंजन. परिवार व दोस्त रिश्तेदार एक दूसरे के यहाँ मिलने जाते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं व मिल जुलकर खुशियाँ मनाते हैं. 

ईद सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक मेलजोल का भी दिन है. लोग गिले शिकवे भूलकर गले लगते हैं, गरीब अमीर सब एक ही सफ (पंक्ति) में नमाज़ पढ़ते हैं, जिससे equality व भाईचारे की भावना मज़बूत होती है. 

ईद उल फ़ितर का धार्मिक महत्व: यह त्योहार अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के लिए मनाया जाता है. Ramzan (Ramadan 2025) भर कठिन इबादतें करने व आत्मसंयम दिखाने के बाद ईद अल्लाह की तरफ से इनाम की तरह आती है. 

कहा जाता है कि पहली ईद उल फ़ितर पैगंबर मुहम्मद ने 624 ईस्वी में मनाई थी, जब बद्र की लड़ाई में मुसलमानों को फ़तह मिली थी.  तब इस जीत की खुशी में व Ramzan (Ramadan 2025) के बाद, स्वयं पैगंबर ने साथियों संग ईद की नमाज़ अदा की व आपस में मीठा बांटा. तभी से हर साल Ramzan (Ramadan 2025) के बाद ईद मनाने की परंपरा शुरू हुई.

 ईद का दिन मुसलमानों के लिए जश्न का दिन होते हुए भी ख़ुदा की याद से ख़ाली नहीं होता  इस दिन भी विशेष तौर पर अल्लाह की तक़दीस बयान की जाती है, जिसे तकबीरात कहते हैं: ‘अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाह…’ ईद की नमाज़ से पहले ये तकबीर जोर से पढ़ी जाती है. 

Ramzan (Ramadan 2025) के महीने में की गई सारी नेकियों व इबादतों को कुबूल करने की दुआईं ईद के दिन मांगी जाती हैं.  साथ ही यह संकल्प भी लिया जाता है कि Ramzan (Ramadan 2025) में जिस संवार ली हुई रूहानी जिंदगी को हासिल किया, उसे बाकी साल भी बरक़रार रखेंगे. ईद उल फ़ितर इसलिए खुशी व आत्ममंथन दोनों का अवसर है  खुशी इस बात की कि अल्लाह ने रहमत से Ramzan (Ramadan 2025) पूरा करवाया, व आत्ममंथन कि हमने इस महीने से क्या सीखा जो आगे ज़िन्दगी में उतारना है. 

Ramadan 2025

Ramadan 2025 में ईद उल फ़ितर का त्योहार अनुमानतः 30 या 31 मार्च 2025 को पड़ेगा  जो की चांद दिखने पर निर्भर है . इस दिन दुनियाभर में मुसलमान नए जोश व भाईचारे के साथ ईद मनाएंगे. 

हिंदुस्तान में मस्जिदों व ईदगाहों में लाखों लोग नमाज़ पढ़ने इकठ्ठा होंगे. सेवईयों की खुशबू हर घर में आएगी व ‘ईद मुबारक’ की सदाएं गूंजेंगी.  Ramzan (Ramadan 2025) की संयम भरी इबादत के बाद ईद का उत्सव सचमुच ईमान वालों के लिए जन्नत की झलक जैसा होता है. 

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निष्कर्ष: Ramzan (Ramadan 2025) का पवित्र महीना हर मुसलमान के लिए आध्यात्मिक वृद्धि व परहेज़गारी का मौका है.  इस महीने के रोज़े केवल भूखे रहने के लिए नहीं, बल्कि आत्म संयम, धैर्य व दया की भावना पैदा करने के लिए हैं. Ramzan (Ramadan 2025) हमें सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी ईमान व नेक रास्ते पर कैसे चलना है. 

कुरान व इबादत के ज़रिए ईश्वर से संबंध मजबूत होता है, तो ज़कात सदक़े के ज़रिए इंसानियत की सेवा होती है. बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, हर किसी के लिए Ramzan (Ramadan 2025) रहमत लाता है, कोई रोज़ा रखकर सवाब कमाता है तो कोई अपनी मजबूरी के चलते दुआओं व दान से शामिल होता है.

आखिरी में ईद उल फ़ितर की ख़ुशियाँ इसी बात का जश्न हैं कि अल्लाह ने हमें माफ़ करके, तरक्की देकर, एकजुट होकर खुश रहने का मौका बख्शा. Ramzan (Ramadan 2025) के पाक महीने में सीखी गई बातें साल भर हमारी जिंदगी को बेहतर बनाएँ , इसी दुआ के साथ हर मुस्लिम Ramzan (Ramadan 2025) गुजरता है व ईद मनाता है. 

रमजान मुबारक एवं ईद मुबारक!

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