World Heritage Day 2025
हर साल 18 अप्रैल को पूरी दुनिया में World Heritage Day यानी विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है. यह दिन सिर्फ किसी तारीख का हिस्सा नहीं होता, बल्कि यह हमारी सभ्यता, संस्कृति व हिस्ट्री की
अमूल्य धरोहरों को सम्मान देने का दिन है. World Heritage Day 2025 की बात करें तो इस बार इसका महत्व व भी बढ़ गया है क्योंकि तेजी से बदलती दुनिया में हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती बन चुका है.
चलिये जानते है आखिर World Heritage Day 2025 क्यों है इतना खास
1. भारत के तीन नए स्थलों को मिला विश्व धरोहर का दर्जा
2025 में यूनेस्को ने भारत के तीन नए हिस्टॉरिकल स्थलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है. इनमें एक प्राचीन मंदिर, एक आदिवासी सांस्कृतिक स्थल व एक हिस्टॉरिकल जल प्रबंधन
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प्रणाली शामिल है. इससे न केवल भारत की वैश्विक पहचान को मजबूती मिली है, बल्कि पर्यटन को भी जबरदस्त बढ़ावा मिला है.
2. डिजिटल हेरिटेज को भी मिला सम्मान
2025 में पहली बार डिजिटल धरोहर यानी डिजिटल रूप से संरक्षित हिस्टॉरिकल दस्तावेजों, आर्काइव्स व वर्चुअल म्यूजियम्स को भी विश्व धरोहर संरक्षण अभियान का हिस्सा बनाया गया है. इससे नई पीढ़ी को तकनीक के माध्यम से अपने हिस्ट्री से जुड़ने का अवसर मिला है.
3.भारत में धूमधाम से हुआ आयोजन
भारत में इस साल विश्व धरोहर दिवस को लेकर खास आयोजन किए गए. दिल्ली के कुतुब मीनार, वाराणसी के घाट, व जयपुर के हवामहल जैसे प्रमुख
स्थलों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, लाइट एंड साउंड शो, व हेरिटेज वॉक का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया.
4.हिस्ट्री की ज़ुबान हैं ये धरोहरें
हर किला, मंदिर, मस्जिद, स्मारक या गुफा सिर्फ पत्थरों का ढांचा नहीं होता. ये वो पन्ने हैं जिनमें हमारी सभ्यता की कहानियां छुपी हैं. World Heritage Day 2025 हमें यह याद दिलाता है कि हिस्ट्री को भूलना, खुद को भूलने के बराबर है.
5.सांस्कृतिक पहचान को मिलती है नई जान
जब युवा पीढ़ी अपनी धरोहरों से जुड़ती है, तो उनमें संस्कृति के प्रति आत्मगौरव व जागरूकता पैदा होती है. यही कारण है कि World Heritage Day 2025 जैसे दिवस स्कूलों व कॉलेजों में भी खास अंदाज़ में मनाए जाते हैं.
विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
विश्व धरोहर दिवस World Heritage Day, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल दिवस भी कहा जाता है, हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाता है. इस दिवस
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की शुरुआत संस्कृति व विरासत की सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलाने के मकसद से हुई थी. आइए जानते हैं इसकी शुरुआत की कहानी:
शुरुआत की पृष्ठभूमि
- 1972 में, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNESCO यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाइजेशन ने “विश्व धरोहर सम्मेलन” आयोजित किया था, जिसमें यह तय किया गया कि दुनिया की सांस्कृतिक व प्राकृतिक धरोहरों को संरक्षित किया जाएगा.
- 1982 में इंटरनेशनल कौंसिल ऑन मोनुमेंट्स एंड साइट्स ICOMOS ने प्रस्ताव रखा कि एक विशेष दिन ऐसा होना चाहिए जब दुनियाभर में धरोहरों की अहमियत व संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाई जाए.
- इसी प्रस्ताव को UNESCO ने 1983 में स्वीकृति दे दी व 18 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल दिवस के रूप में घोषित किया गया.
इस दिन का मकसद
- विश्वभर की सांस्कृतिक व हिस्टॉरिकल धरोहरों की महत्ता को रेखांकित करना.
- लोगों को उनके संरक्षण के लिए जागरूक बनाना.
- युवाओं में संवेदनशीलता व जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न करना.
- धरोहर स्थलों पर होने वाली तोड़फोड़, क्षरण व उपेक्षा के खिलाफ आवाज उठाना.
भारत की कुछ प्रमुख विश्व धरोहरें
भारत में कुल 42 UNESCO World Heritage Sites हैं, जो अलग-अलग समय व सभ्यताओं की झलक दिखाते हैं. World Heritage Day 2025 के अवसर पर इन स्थलों का ज़िक्र ज़रूरी हो जाता है:
- कुतुब मीनार – दिल्ली का यह स्थापत्य चमत्कार इस्लामिक आर्किटेक्चर का बेहतरीन उदाहरण है.
- खजुराहो के मंदिर – मध्य प्रदेश स्थित ये मंदिर अपनी कलाकृतियों व नक्काशी के लिए विश्वप्रसिद्ध हैं.
- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान – एक सींग वाले गैंडे का घर, असम की यह धरोहर जैव विविधता का प्रतीक है.
World Heritage Day 2025 की थीम क्या है?
हर साल World Heritage Day की एक खास थीम होती है जो उस वर्ष की चुनौतियों व प्राथमिकताओं पर आधारित होती है. World Heritage Day 2025 की थीम है – “Heritage for Peace”
यानी शांति के लिए धरोहर. इस थीम का मकसद युद्धग्रस्त या सामाजिक तनाव वाले क्षेत्रों में सांस्कृतिक स्थलों को बचाना व उनके माध्यम से शांति फैलाना है.
सोशल मीडिया पर कैसे मनाएं World Heritage Day 2025?
- हैशटैग के साथ अपनी पसंदीदा धरोहर की तस्वीरें शेयर करें.
- अपने शहर या गांव की स्थानीय धरोहरों के बारे में जानकारी पोस्ट करें.
- वर्चुअल टूर का आयोजन कर युवाओं को सांस्कृतिक स्थलों से जोड़ें.
बच्चों को कैसे जोड़ें?
World Heritage Day 2025 पर स्कूलों में ड्राविंग कोंपिटिसन , निबंध राइटिंग, धरोहर क्विज़ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन कर बच्चों में एक अलग ही उत्साह पैदा किया जा सकता है.
इसके अलावा एनिमेटेड वीडियो व शॉर्ट फिल्म्स के जरिए भी उन्हें यह बताया जा सकता है कि ये धरोहरें सिर्फ अतीत नहीं, बल्कि हमारी पहचान हैं.
धरोहर संरक्षण में हमारी भूमिका कितनी ज़रूरी है
धरोहरों का संरक्षण केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं है. आम नागरिक भी इसमें भागीदार हो सकते हैं:
- धरोहर स्थलों पर साफ-सफाई रखें
- दीवारों पर पेंटिंग या नाम ना लिखें
- टूरिस्ट गाइड के तौर पर लोगों को शिक्षित करें
- स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर जागरूकता फैलाएं
हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस World Heritage Day मनाया जाता है. इस दिन का मकसद दुनियाभर की हिस्टॉरिकल धरोहरों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना होता है. World Heritage Day 2025 का थीम है — “Heritage for Generations” यानी धरोहरों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना.
लेकिन सवाल ये है — क्या सिर्फ सरकार व संस्थाएं ही जिम्मेदार हैं? नहीं! इस संरक्षण में हमारी भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है.
विश्व धरोहर का मतलब क्या है?
वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स वे स्थान होते हैं जिन्हें UNESCO द्वारा हिस्टॉरिकल, सांस्कृतिक या प्राकृतिक दृष्टिकोण से अमूल्य माना गया है. भारत में ताजमहल, कुतुब मीनार,
अजंता-एलोरा की गुफाएं, हम्पी, काजीरंगा नेशनल पार्क जैसे 40 से ज्यादा World Heritage Sites हैं.
क्यों ज़रूरी है धरोहरों का संरक्षण?
- संस्कृति की पहचान बचती है
धरोहरें हमारे अतीत की कहानी कहती हैं. इन्हें संरक्षित रखना मतलब अपनी पहचान को जिंदा रखना. - पर्यटन व रोजगार
वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स पर लाखों पर्यटक आते हैं, जिससे लोकल इकोनॉमी को बूस्ट मिलता है. - शिक्षा व रिसर्च के साधन
हिस्ट्री, वास्तुकला व पारंपरिक ज्ञान को समझने के लिए ये धरोहरें बेजोड़ साधन हैं.
World Heritage Day 2025: हम क्या कर सकते हैं?
यहाँ कुछ आसान लेकिन असरदार कदम हैं जिनसे आप व हम धरोहरों के रक्षक बन सकते हैं:
1. स्थानीय धरोहरों को पहचानिए व विज़िट करिए
अपने शहर या गांव की हिस्टॉरिकल जगहों को जानें. ये छोटी धरोहरें भी संरक्षण के लिए उतनी ही जरूरी हैं.
- स्वच्छता बनाए रखें
जब भी किसी धरोहर स्थल पर जाएं, कूड़ा न फैलाएं. Clean Heritage Movement का हिस्सा बनें.
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3. सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं
World Heritage Day 2025 के मौके पर heritage से जुड़ी जानकारी, फोटो या फैक्ट्स शेयर करें..
4. गाइडेड टूर लें व बच्चों को साथ ले जाएं
धरोहरों को जानने के लिए टूर गाइड का सहारा लें व बच्चों को भी साथ लेकर जाएं ताकि उनमें भी जागरूकता आए.
5. ग्रामीण क्षेत्रों की धरोहरों को सपोर्ट करें
भारत में कई प्राचीन मंदिर, बावड़ियाँ, हवेलियाँ व किले ऐसे हैं जो UNESCO की सूची में नहीं हैं, लेकिन बेहद महत्वपूर्ण हैं.
टेक्नोलॉजी से जुड़ती धरोहरें
1.डिजिटल इंडिया में सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण
- कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 3D स्कैनिंग, व वर्चुअल रिएलिटी से हिस्टॉरिकल इमारतों को संरक्षित किया जा रहा है.
2.पुरातत्व व टेक्नोलॉजी का संगम
- ड्रोन, सैटेलाइट इमेजिंग व डेटा एनालिटिक्स का उपयोग पुरानी सभ्यताओं की खोज में कैसे हो रहा है.
3.भारतीय मंदिरों व स्मारकों की डिजिटल आर्काइविंग
- कैसे गूगल आर्ट्स एंड कल्चर या नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी जैसे प्लेटफॉर्म विरासत को विश्व से जोड़ रहे हैं.
4.VR टूर से जुड़े स्मारकों का अनुभव
- लोग अब घर बैठे ही VR हेडसेट की मदद से ताजमहल, कुतुब मीनार व अन्य धरोहरों का अनुभव कर सकते हैं.
5.हेरिटेज ऐप्स व गेमिफिकेशन
- युवा पीढ़ी को धरोहरों से जोड़ने के लिए मोबाइल ऐप्स व इंटरैक्टिव गेम्स का उपयोग.
World Heritage Day 2025 व टूरिज्म
पर्यटन उद्योग व सांस्कृतिक धरोहरें एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं. जब कोई टूरिस्ट किसी धरोहर स्थल को देखने आता है, तो वह ना सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, बल्कि धरोहर
के महत्व को भी दुनिया तक पहुंचाता है. World Heritage Day 2025 टूरिज्म इंडस्ट्री को यह अवसर देता है कि वे लोगों को इन धरोहरों के प्रति संवेदनशील बनाएं.
निष्कर्ष: अपनी जड़ों को ना भूलें
World Heritage Day 2025 सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक संकल्प है—अपनी जड़ों, अपने हिस्ट्री व अपने अस्तित्व को पहचानने व संजोने का. यह दिन हमें एक बार फिर से सोचने पर मजबूर करता
है कि हम अपने अतीत की रक्षा करके ही एक समृद्ध भविष्य बना सकते हैं. जब हम धरोहरों को बचाते हैं, तो हम अपनी संस्कृति को, अपनी पहचान को बचाते हैं.
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